देश में कोई भी फिल्म रिलीज़ होने से पहले सरकार के सेंसर बोर्ड को दिखाई जाती है सेंसर बोर्ड एक फिल्म को कई पैमानों पर जांचता है ताकि उसमें कोई ऐसा कंटेंट न हो जिससे समाज पर बु’रा प्रभाव पड़े फिल्म को धा’र्मिक सामाजिक दृष्टि से परफेक्ट होने के साथ-साथ चरि’त्रवान भी होना बहुत ज़रूरी है।
चरि’त्रवान से हमारा सीधा ता’त्पर्य फिल्म के चरित्र से है कहने का मतलब ये कि फिल्म में अ’श्लील कं’टेंट नहीं होना चाहिए। सेंसर बोर्ड आज के समय की सभी फिल्मों को उसके चरि’त्र के आधार पर बारीकी से जांच करता है आज हम आपको उन चार फिल्मों के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे सरकार के सेंसर बोर्ड ने तो बड़े पर्दे पर रिलीज़ नहीं होने दिया।
लेकिन ये फिल्में YouTube पर आसानी से मिल जाती हैं इतना ही नहीं लोग आज भी इन फिल्मों को देख भी रहे हैं Unfreedom यह फिल्म साल 2015 में बनी थी, लेकिन सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म को बै’न कर दिया था ये फ़िल्म सम’लैंगि’क रिश्तों पर आधारित थी इस फिल्म में अ’श्लील कंटेंट का भंडार था जिसके चलते इसे बै’न कर दिया गया ।
दूसरी फ़िल्म 2005 में बनी फिल्म Sins का है यशराज बैनर की ये फिल्म एक पा’दरी के महिला के साथ संबं’धों पर बनाई गई थी अश्ली’लता की वजह से बै’न हुई यह फिल्म बिना रिलीज़ हुए ही हिट हो गई थी उसकी सबसे बड़ी वजह यही है कि वि’वादों में रहने के दौरान इस फिल्म के बारे में कई लोग जान चुके थे।
साल 2003 में आई फिल्म Paanch भी उन वि’वादित फिल्मों में से एक है जिसमें सेंसर क’ट लगाकर इतना थक गया था आखिर उसे भी बै’न ही कर दिया गया हालांकि ये फिल्म अपनी अ’श्लील’ता पर नहीं बल्कि अत्य’धिक हिंसा और नशा’खोरी की वजह से बै’न हुई थी इस फिल्म को अनु’राग कश्यप ने डायरेक्ट किया था।
2015 में एक फिल्म आई जिसका नाम था The painted house इस फिल्म के बारे के कहा जाता है की इसको देखते ही सेंसर बोर्ड ने इसे तुरं’त बै’न कर दिया था ये फिल्म एक बुज़ुर्ग शख्स और एक जवान लड़’की के बीच संबं’धों को लेकर बनाई गई थी ।