जमीयत उलेमा-ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने एक निजी चैनल के कार्यक्रम में मोदी सरकार की विदेश नीति को लेकर जमकर सराहना की, यही नही बल्कि उन्होंने कहा कि मोदी सरकार में जिस तरह की विदेश नीति देखने को मिली है अगर उसकी तारीफ नही हुई तो ये कंजूसी या नाइंसाफी होगी।
मौलाना मदनी ने कहा कि दुनियाभर में भारत की एक स्वतंत्र भूमिका बहुत दिनों के बाद देखने को मिली है। मौलना महमूद मदनी ने का कि पीएम मोदी ने अपने नारा (देश नहीं झुकने दूंगा) को प्रैक्टिकली करके दिखाया है।
इसके अलावा मदनी ने कार्यक्रम में तमाम मुद्दों पर अपनी राय रखी। इसी बात चीत के दौरान एंकर ने मौलाना मदनी से चौकाने वाला सवाल किया कि आखिर हिंदुओं को काफिर क्यों कहा जाता है? क्या हिंदू काफिर है या नहीं?
इसपर मदनी ने समझाते हुए कहा, “चार तरह की टर्मनोलॉजी है। हमारे यहां बहुत पहले यह फैसला हुआ कि अगर काफिर कहने से किसी को तकलीफ होती है तो उसे काफिर नहीं कहा जा सकता है।
दूसरा, जो लड़ने वाला हो, उसके लिए काफिर शब्द का इस्तेमाल होता है। तीसरा ये कि अगर जो भी नॉन मुस्लिम को काफिर बताए, वो गलत है। आपको बता दें मौलाना महमूद मदनी ऐसे शख्स हैं जो दुनिया भर के 500 प्रभावशाली मुस्लिमों में शामिल है।
आपको बता दें बहुत से मुसलमान उनके जवाब से संतुष्ट नही हो सकते हैं क्योंकि काफिर के माना इंकार के आते हैं जो अल्लाह का इंकार करे या उसके हुक्म को इंकार कर दे उसको काफिर कहा जाता है ।