लोग यह नहीं जानते कि कयामत वाले दिन उनके साथ क्या होगा लेकिन यह जरूर जानते हैं कि दोसरो के साथ क्या होगा, आज की औरत को कुर्बानी देना होगा अपने नींद की, अपनी शॉपिंग कि, अपने पार्लर की, और हर उस चीज की जिसकी वजह से अपनी औलाद की तरबियत में कमी कर रही है तब जाकर हमारी आने वाली नस्लें अल्लाह की चुनी हुई नस्ले तैयार होगी।
अगर औरत गैरत के नाम पर क़त्ल करती तो आज मर्द सिर्फ बायलॉजी की किताबों में मिलते, जिन्होंने आपको छोड़ना होता है वह दिन या रात नहीं देखते और जिन्होंने निभाना होता है फिर वह हालात नहीं देखते,
मर्द की वफा का पता ही औरत की बीमारी में चलता है कि सिक्का खोटा है या खरा, इसी तरह औरत की दिलदारी मर्द की बेरोजगारी के वक्त पता चलती है की वो कागज़ी हमसफर है या वाकई शरीके हयात।
वह औरत कभी भी अपने पति के दिल पर राज नहीं कर सकती जिसे बात बात पर पति से लड़ने और बद ज़ाबानी की आदत हो, एक बेटी के लिए बहुत फक्र की बात होती है जब कोई कहता है यह तो बिल्कुल अपने बाप पर गई है।
नकाब पहनना इज्जत की गारंटी नहीं है, इस समाज ने कई नकाबपोश महिलाओं को रात के अंधेरे में सड़कों पर बोली लगाते देखा है।औरत की आँख में अगर हया न हो तो लाख परदे भी उसे बेहयाई से नहीं रोक सकते तुम जो देते हो वह तुम नहीं देते तुम्हें तो देने की तौफीक भी तुम्हें देने वाला देता है,