मेरे पिता मजदूर थे भाई भी मजदूर थे भाइयों ने मिलकर शादी एक मजदूर के साथ कर दी एक बात पर यकीन कर ले औरत को अल्लाह ताला ने सरापा रहमत बनाया है चाहे मां की सूरत में हो या बीवी के सूरत में या बहन की सूरत में या बेटी की सूरत में बात है आपकी नियत की अगर आपकी नियत नेक हो तो आप उस रहमत के हकदार बन जाएंगे।
अगर आपकी नियत में खराब है तो शरापा रहमत तो क्या रहमत ए खुदा वंदी भी आपसे रूठ जाएगी थे खैर उस मजदूर की नियत नेक थी बीवी की सूरत में वह हर किस्म की रहमत का हकदार बन बैठा वह पहले से ही मेहनती था फिर उसे विदेश जाने का मौका भी मिल गया उसके कदम मजबूत होते ही उसने अपनी बीवी को भी अपने पास बुला लिया।
गरीब की बेटी खुशहाल हो चुकी थी और अब उसकी जिंदगी का हर दिन ईद के दिन जैसा था हर रात उसके लिए खुशी की रातें थी मगर इस दुनिया में भी वह अपने बाप और भाइयों को नहीं भूल ही थी 2 साल गुजर चुके थे उसको अपने भाई और बाप की याद सताने लगी उसके शौहर ने जब देखा तो उसने अपनी पत्नी की ख्वाहिश हेतराम करते हुए अब वो अपने वापस लौट रही थी।
उसने अपनी वापसी की इत्तला किसी को नहीं दी क्योंकि वह अचानक घर पहुंच कर सबको खुशी देना चाहती थी और खुद खुशी पाना चाहती थी जब घर पहुंची तो सबसे पहले अपनी मां के पास गई तो उसकी मां कब्रिस्तान में सुकून की नींद सो रही थी लेकिन उसको उम्मीद थी उसकी मां को जरूर सुकून मिला होगा।
फिर अपने घर पहुंची उसके भाई उसको अचानक अपने पास देखकर परेशान हो गए मैंने सवाल किया कि अब्बू कहां है इस सवाल का जवाब तमाम भाइयों को देना मुश्किल हो रहा था फिर उसे एक पड़ोसन से इसके सवाल का जवाब दिया कि नालायक बेटे ने अपने बाप को घर से निकाल दिया था।
जो अब एक झोपड़पट्टी में अपनी जिंदगी के दिन पूरे कर रहा था वह अपने बाप के पास पहुंची उसका बाप बड़ी मजबूत दिल का मालिक था मगर अपनी बेटी की एक बात सुनकर रो पड़ा उसने कहा अब्बू चलिए अब आप मेरे साथ ही रहेंगे रोते-रोते उसने अपनी बेटी का हाथ थाम लिया।
और बोला मैंने अपनी सारी जिंदगी का मुकाबला करते गुजार दी जिंदगी में मैंने बस 2 बार रोया हूं एक बार तब जब तुम पैदा हुई थी उस वक़्त शर्मिंदगी के साथ में रोया था और दूसरी बार आज जब तुमने मुझे सहारा देने की बात की है बाप की बात सुनकर बेटी भी फूट-फूट कर रोने लगी रहमत तो बस रहमत होती है चाहे उसकी कदर करें या ना करें