अल्लाह के रसूल हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने हजरत माज़ इब्ने जबल रज़ी अल्लाहु अन्हु को एक दुआ सिखाई जिसमें फरमाया अगर आप पर उहद पहाड़ के बराबर भी कर्ज हो तो अल्लाह ताला अपनी तरफ से कर्ज अदा कर देगा और रिवायत में जो अल्फाज है बहुत ही अजीब बात है “अल्लाह के ‘रसूल ने फरमाया क्या मैं तुम्हें ऐसी दुआ ना सिखाओ अगर आप पर उहद पहाड़ के बराबर भी कर्ज़ हो तो “अल्लाह ताला आपकी तरफ से वो कर्ज़, अदा देगा।
आपको बता दें “अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने हजरत माज़ इब्न जबल रज़ि. से फरमाया ये माज़ अल्लाह की कसम मैं तुमसे मोहब्बत करता हूं इससे यह पता चलता है अल्लाह के रसूल का हजरत माज़, रजि अल्लाह अन्हु के साथ खास ताल्लुक था और आपको पता होगा जिससे खास ताल्लुक होता है उसको ही खास चीज़े सिखाई जाती है।
तो यह दुआ अल्लाह के रसूल ने हजरत माज़ को सिखाई जो कर्ज के लिए है। जिसके पास बहुत ज्यादा कर्ज़ हो वो ये दुआ मांगेगा अल्लाह उसके तमाम कर्ज़ को अदा कर देगा इसमें अजीब बात ये अल्लाह आपकी तरफ से कर्ज अदा करेगा ।
इसका मतलब ये है अल्लाह ऐसा रास्ता बनाएगा आपको पता भी नही चलेगा इतनी आसानी आपका क़र्ज़ अदा हो जाएगा ।फिर अल्लाह के रसूल ने हज़रत माज़ को उस दुआ सिखाई जिसमे क़ुरान करीम का कुछ हिस्सा भी है ।
सूरः अल-इमरान की 26 और 27 नंबर आयत पढ़ ले.
: قُلِ اللّـٰـهُـمَّ مَالِكَ الْمُلْكِ تُؤْتِى الْمُلْكَ مَنْ تَشَآءُ وَتَنْزِعُ الْمُلْكَ مِمَّنْ تَشَآءُۖ وَتُعِزُّ مَنْ تَشَآءُ وَتُذِلُّ مَنْ تَشَآءُ ۖ بِيَدِكَ الْخَيْـرُ ۖ اِنَّكَ عَلٰى كُلِّ شَىْءٍ قَدِيْرٌ (26) تُوْلِجُ اللَّيْلَ فِى النَّـهَارِ وَتُوْلِجُ النَّـهَارَ فِى اللَّيْلِ ۖ وَتُخْرِجُ الْحَىَّ مِنَ الْمَيِّتِ وَتُخْرِجُ الْمَيِّتَ مِنَ الْحَيِّ ۖ وَتَـرْزُقُ مَنْ تَشَآءُ بِغَيْـرِ حِسَابٍ (27)
उसके बाद ये ये दुआ पढ़ें
رحمنَ الدُّنيا والآخرةِ ورحيمَهما تعطيهما من تشاءُ وتمنعُ منهما من تشاءُ ارحَمْني رحمةً تُغنيني بها عن رحمةِ من سواك ۔
इसका पढ़ने का कोई मामूल बना ले फजर की नमाज़ के बाद या कोई ऐसा वक़्त जिसमें आपको पढ़ने में आसानी हो ।