दोस्तों अस्स्लामालेकुम,निकाह एक ऐसा रिश्ता हो जो दो परिवारों को जोड़ता है,निकाह करने वालो को अल्लाह ने छूट दी है वो अपने हिसाब से अपने जीवन साथी को चुन सकता है लेकिन निकाह करते हुए अपने हमसफर चुनने में कई बंदिशे भी है आज हम आपको इसके बारे में आपको बताने वाले है.
दोस्तों,खाला,साली ,चाची और दूध के रिश्ते से बहन-ऐसे रिश्तो में शादी की मनाही है,ऐसे रिश्ते से जो औरते है उनसे निकाह किसी भी सूरत में ज़ाहिर नही है.साली से शादी एक सूरत में जायज़ है.आप सोच रहे होंगे अभी हमने बताया कि साली से शादी जायज़ नही है फिर हम कह रहे है अगर कोई ख़ास सूरत हो तो शादी हो सकती है.
अब आप सोच रहे होंगे ऐसी कौनसी सूरत होगी ? लेकिनं यह बात सही है एक सूरत ऐसी हा जब आप का निकाह साली से हो सकता है.अगर बीबी का इन्तेकाल हो जाए फिर आप अपनी साली से शादी कर सकते है.दोस्तों जैसे हर निकाह में औरत की रज़ा मंदी ना हो तो जायज़ नही है ऐसा इस निकाह पर भी लागू होता है अगर साली भी शादी करना चाहती है तभी शादी पॉसिबल है.दोस्तों निकाह ऐसी चीज़ है जिसको निभाने की ज़िम्मेदारी दोनों पर होती है.
अल्लाह ने इस रिश्ते में मर्द और औरत दोनों के लिए हदे तय की है.मर्द को अपनी औरत के प्रति वफादार,औरत को दुःख ,किसी तरह का ज़ुल्म की मनाही है वही औरत पर भी मर्द से वफा,मर्द की जायज़ फर्मादारी रखना होगी.
अगर मिया और बीबी अपने रिश्ते को मुक़म्मल तरीके से अंजाम दे दे फिर ये ऐसी नेकी है जिससे खुश होकर अल्लाह जन्नत में दोनों को दाखिला दे सकता है.उम्मीद है आपको यह पोस्ट पसंद आई होगी.