दोस्तों सभी दीनी भाइयो या बहनो को इस्लाम के बारे में पूरी जानकारी रखना बेहद ही ज़रूरी है हम लोगो को पूरी जानकारी ना होने की वजह से जाने अनजाने में बहुत सी छोटी बड़ी गुनाह हो जाती है न जानते हुए भी हम लोग गलती कर बैठते है इसलिए अपने आस पास की मस्जिदों के इमाम साहब या मुफ़्ती साहब या कोई भी ऐसा इंसान ह जिसको दीन के बारे में सारी मालूमात हो तो उससे ज़रूर राब्ता क़ायम करना चाहिए और छोटी छोटी गलतियोँ से बचना चाहिए.
हजरत आयशा रजि अल्लाह अन्हो अबू बकर सिद्दीक रजि अल्लाह अन्हु की बेटी है और हज़रत मुहम्मद रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम की बीवी है और तमाम मुसलमानों की मां हैं. एक दिन हज़रत मुहम्मद रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हज़रत आयेशा रज़ि० से फरमाया जो ची चाहे मांग लो हज़रत आयेशा रज़ि० ने अर्ज़ किया की वो राज़ बताइए जिससे तमाम गुनाह माफ हो जाएं.
इमामुल अंबिया हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया वह राज़ ये है कि जब कोई मोमिन किसी दूसरे मोमिन की कांटा चुभने के बराबर तकलीफ दूर करता है तो अल्लाह उसके तमाम गुनाह माफ कर देता है और जन्नत में उसको आला दर्जा मिलता है। इस हदीस से पता चलता है एक मुसलमान की अहमियत क्या है.
जब सहाबा कराम को यह मालूम हुआ तो बेहद खुश हुए लेकिन हजरत अबू बकर सिद्दीक़ रज़ि अल्लाहू अन्हु रोने शुरू कर दिए सहाबा को ताज्जुब हुआ उन्होंने पूछा आप क्यों रोते हैं हज़रत अबू बकर सिद्दीक ने जवाब दिया मैं इसलिए रोता हूं कि जब दूसरों का दुख दूर करना गुनाहों की माफी और जन्नती होने का जरिया बन सकता है तो उन लोगों का क्या होगा जो दूसरों को दुख पहुंचाते हैं.
ऐसे ही एक दोसरे हदीस में है एक शख्स ने रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम से पूछा की कौनसा मुसलमान बेहतर है ? तो आप सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया वो मुसलमान जिसकी ज़ुबान और हाथ से दुसरे मुसलनमान महफूज़ हो (यानी ज़ुबान से ना किसी मुसलमान की बुराई करे और ना हाथ से किसी को तकलीफ़ दे.