पिछले कुछ दिनों से एक किताब की चर्चा हो रही है, ये किताब है राईशा लालवानी की “THE DIARY ON THE FIFTH FLOOR”, इस किताब को रूपा पब्लिकेशन ने प्रकाशित किया है. अंग्रेज़ी भाषा में लिखी गयी ये किताब यूँ तो काल्पनिक आधार पर है लेकिन इसको पढ़कर कई तरह की हक़ीक़त से रू-ब-रू हुआ जा सकता है. ये किताब हमारी नज़र में तब आयी जब हमने “साहित्य दुनिया”(sahityaduniya.com) पर इसका रिव्यु पढ़ा. “साहित्य दुनिया” अपनी पुस्तक समीक्षा सीरीज़ “किताब दुनिया” में लिखता है,”ये कहानी है एक लड़की की जो कई तरह के मानसिक उथलपुथल से गुज़र रही है और एक मनोचिकित्सक को अपनी डायरी देते ही उसे ये डर सताता है कि अब एक अनजान इंसान के सामने उसके सारे राज़ बाहर आ जाएँगे। आख़िर इस डायरी में ऐसा क्या लिखा है और किस तरह ये लड़की अपनी मंज़िल तय कर पाती है? क्या उसे अपने सवालों के जवाब मिलते हैं?”
दिलचस्प बात ये भी है कि ये राईशा की पहली किताब भी है. पहली किताब होने की वजह से उनके लेखन में ताज़गी तो नज़र आती है लेकिन कहीं भी अपरिपक्वता नज़र नहीं आती. समीक्षा में आगे कहा गया है,”पूरी किताब में इस तरह की डिटेलिंग नज़र आती है। किसी रूम, किसी व्यक्ति, किसी जगह के बारे में लिखते हुए राईशा अपने लेखन से पूरा चित्र ही उतार देती हैं। उनके पास सामाजिक बदलाव को देखने की एक नज़र है ये बात भी कहानियों में झलकती है। एक फ़िक्शन उपन्यास होते हुए भी इसमें कल्पना से ज़्यादा वास्तविकता नज़र आती है। इन कहानियों को पढ़ते हुए आप अपने आसपास की कई घटनाओं को याद कर पाएँगें और ये कहानी कम बल्कि आपके आसपास की कोई घटना ज़्यादा लगेगी।”
राईशा समाज के उच्च-मध्यम वर्गीय तबक़े की उलझनों को अपनी ही तरह से सुलझाने का तरीक़ा भी सुझाती हैं. साहित्य दुनिया ने तो इस किताब को अपनी समीक्षा में काफ़ी अच्छा बताया है. आइये जानते हैं अमेज़न पर इस किताब के बारे में रीडर्स ने क्या प्रतिक्रिया दी है. रूचि इस किताब के बारे में लिखती हैं कि उन्हें इस किताब का कांसेप्ट बहुत पसंद आया जोकि यूनीक भी है और प्लाट अलग है. उन्होंने इस किताब की तारीफ़ में काफ़ी कुछ लिखा है. देवंशी संघिनी लिखती हैं कि किताब का प्लाट काफ़ी अच्छा है लेकिन और बेहतर ढंग से इसे लिखा जा सकता था. कैमेलिया लिखती हैं कि ये किताब अपनी ही तरह की एकलौती किताब है, वो इसे पाँच में से पाँच स्टार देती हैं.