अस्स्लामालेकुम दोस्तों,उम्मीद करते है आप लोग अच्छे होंगे.हम आपको रोजाना इस्लाम के बारे में पोस्ट करके बताते रहते है.आज हम आपको मियाँ और बीवी के खुसुसी रिश्ते पर आप को जानकारी देंगे.बहुत से गैर मुस्लिम,मुसलमानों पर तनक़ीद करते है कि इस्लाम में औरत का मर्तबा शौहर से बहुत कमतर है.दोस्तों आज जो जानकारी देंगे जा रहे है उससे ऐसे बातें करने वालो का दावा गलत साबित हो जाएगा.
इस्लाम में शादी करने का तरीका बहुत आसान बताया गया है इन दोनों के बीच के रिश्ते को इस्लम में एक अहम् दर्जा दिया गया है शादी बाद शौहर के ऊपर बीवी की ज़िम्मेदारी पूरी आ जाती है दोनों को एक दूसरे के साथ मोहब्बत के साथ रहने को बताया गया है इस्लाम में हर मसले का हल बहुत आसान तरीके से बताया गया है इस्लाम को फॉलो करने वालो की ज़िन्दगी बहुत ही शानदार तरिके से गुज़रती है।
अल्लाह तआला ने बीवी और शौहर के रिश्तो को बेपर्दगी और शरीके हयात वाला बनाया है.यानी बीवी से मर्द की और मर्द से शौहर का हर चीज़ शरीक की जा सकती है.अगर कोई शौहर अपनी बीवी को बिना वजह प्रताड़ित करता है फिर उसका हर सवाब अल्लाह खत्म कर देगा.और जो भी उसने सवाब कमाया है वो उसकी बीवी के हिस्से में चला जाएगा.
तीन ज़गह बीवी को अकेला ना छोड़े
दोस्तों हज़रत अली (र.अ) के समय का वाकिया है.जब एक आदमी उनके पास आकर बोला कि बीवी को क्या मैं किसी और के साथ सफर पर भेज सकता हूँ क्युकि मेरी तबियत सही नही है इसलिए मैं नही जा सकता हूँ.
इस पर हज़रत अली (र.अ.) ने कहाकि हरगिज़ नही.तीन ज़गह बीवी को अकेला नही छोड़ सकते है.1-अगर बीवी बीमार है तो ऐसी सूरत में बीवी के साथ रहकार उसकी खिदमत करना चाहिए.
2-बीवी को सफर में आप अकेले नही भेज सकते है,बीवी अपने सगे भाई के साथ ही सफर कर सकती है.3- हज़रत अली ने बताई कि अगर घरवालो के सामने बीवी की तारीफ का कोई मौक़ा पेश आये तो उसने गवाना नही है.बीवी की तारीफ शौहर के लिए उसकी शिद्दत बड़ा देती है और मियाँ बीवी के बीच मोहब्बत को आगे करती है.