रसूलुल्लाह के पास एक मेहमान आया आपने खाना लाने के लिए एक सहाबी को अपने घर भेजा लेकिन उनमें से किसी एक के पास भी खाना ना मिला यानी उनके घर में खाने के लिए कुछ भी नहीं था तो आप ने यह दुआ फरमाई ये अल्लाह मैं तुझसे तेरे फज़ल और तेरी रहमत का सवाल करता हूं बेशक तेरे सिवा इसका कोई मालिक नहीं।
कुछ देर के बाद आपके पास भुनी हुई बकरी का तोहफा लाया गया तो आपने फरमाया यह अल्लाह का फजल है और हम रहमत का इंतजार कर रहे थे। रिज़्क़ जितना भी लिखा होता है उतना मिलकर रहता है उसमें कम ज्यादा नहीं हो सकता और जिस वजह से अल्लाह से भी मांगा जाता है ।
उनमें एक वजह अल्लाह के सामने तौबा इस्तेगफार करना है (गुनाहों से मांफी मांगना ) इसके साथ-साथ हमें कोशिश भी करना चाहिए कहते हैं हिम्मत नहीं हारनी चाहिए अल्लाह ने चाहा वह मालिक हमें जरूर सब्र का फल देगा।
अगर आप रोजी की वजह से परेशान रहते हैं तो इस छोटी सी दुआ को पढ़ लिया कीजिए अल्लाह ने चाहा आपकी जिंदगी बदल जाएगी अल्लाह आपको इतना रिज़्क़ फरमाएंगे की कभी आपको किसी से मांगना ही नहीं पड़ेगा जब भी आपको रिज़्क़ की परेशानी हो और आप चाहते हो कि वह अपने गैब के खजाने से आपको रिज़क नवाजे।
तो आप लोगों को चाहिए उस वक्त परेशानी की हालत में चलते फिरते यह छोटी दुआ को पढ़ते रहना चाहिए। वो दुआ ये है اللھم الجعل رزق آلِ بَیتِی قُوَّتًا जिसका मतलब ये है ये अल्लाह मेरे घर वालों को इतनी रोजी दें कि वो जिंदा रह सके एक छोटी सी दुआ है ।
इंसान की जरूरत कितनी बढ़ चुकी है और इतनी महंगाई हो चुकी है की इंसान को अपना पेट भरने के लिए जिंदा रहने के लिए रिज़्क़ की जरूरत होती है दौलत की जरूरत होती है अगर आप इस दुआ को पढ़ लेते हैं तो पूरे यकीन के साथ इस छोटी सी दुआ को याद कर लीजिए और उसको पढ़ना अपना काम बना लीजिए इंशा अल्लाह जिंदगी बदल जाएगी।