CAA के ख़िला’फ़ प्रद’र्शनों का दौ’र जारी है इसमें महिलाओं का बड़ा योगदान है। दिल्ली के शा’हिनबाग़ में चल रहा महिलाओं का प्रद’र्शन इन दिनों ख़ब’रों की सु’र्खियों में हैं। शा’हिनबाग़ में हर उम्र की महिलाएँ प्रद’र्शन करती नज़र आ जाएँगी और उनके प्रद’र्शन का अन्दाज़ भी निराला है। उनके ख़िला’फ़ कई अफ़’वाहें फै’लायी गयीं, उन्हें पा’र्टियों से जो’ड़ने की कोशिशें भी की गयीं लेकिन उन्होंने बता दिया कि वो अपने फ़ै’सले पर अट’ल हैं और उन्हें किसी भी तरह की बया’नबाज़ी से नहीं डि’गाया जा सकता।
शा’हिनबाग़ की महिलाओं ने देश भर में न जाने कितनी ही महिलाओं को हौ’सला दिया है कि वो भी इस मु’द्दे पर आगे आ सकें। इन महिलाओं के ज’ज़्बे को सला’म करता एक गीत “मौ’ला मेरे तू दे दे सारी ख़ुशी” कैलाश खेर की आवाज़ में आया है। इस गीत के बोल शा’हिनबाग़ की महिलाओं के ज’ज़्बे को ब’यान करता है। जैसे ही ये गीत ट्विटर पर आया कि वो ट्रें’ड करने लगा, इस गीत के साथ जब शा’हिनबाग़ और जगह-जगह की महिलाएँ ड’टी हुई न’ज़र आती हैं तो ऐसे लगता है मानो ये बोल जी उठते हैं।

एक बार को ये ख़याल भी आता है कि इस स्थि’ति पर कितना अच्छा गीत आया है लेकिन आपको बता दें कि ये गीत इस मु’द्दे के उ’ठने से काफ़ी पहले ही लिखा जा चुका था। ये गीत पाकि’स्तानी ऐ’क्टिविस्ट मलाला यूसुफ़ज़ई के जीवन पर आधारित फ़िल्म “गुलमकई” का है, जो फ़िल्म में मलाला के ज’ज़्बे को ब’यान करता है और बिलकुल उसी तरह शा’हिनबाग़ की औरतें के जज़्बे को भी स’लाम करता हुआ लगता है।
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इस गीत को लिखा है फ़िल्म “गुलमकई” के निर्देशक अमजद ख़ा’न ने और संगीत भी उन्होंने ही दिया है। आपको बता दें कि निर्देशक अमजद ख़ा’न ख़ुद CAA के विरो’ध में लगातार ड’टे हुए हैं और वो इस माम’ले ट्वीट करने की वजह से विवा’दों में भी आ गए हैं। यूँ तो उनकी फ़िल्म “गुलमकई” उनके लिए बहुत ज़रूरी है लेकिन उनका कहना है कि “अभी फ़िल्म से ज़रूरी देश है”। फ़िल्म 31 जनवरी को रीलिज़ होने वाली है। लंदन में ये फ़िल्म पहले ही आ चुकी है जहाँ इसे स्टैंडिंग ओवेशन मिला। अब CAA का विरो’ध इस फ़िल्म पर भा’री पड़ेगा या नहीं देखने की बात होगी।