दोस्तों अस्सलामालेकुम,आज हम आपको एक सच्चे वाकिये के बारे में बतायेंगे,बग़दाद में एक बहुत दीनदार आदमी रहता था जिसका नाम मक़सूद था मक़सूद पाबं’दी से नमाज़,रोज़ा और इमानदारी से सारे काम करता था.मक़सूद अभी नौजवान था और उसकी शादी नही हुई थी.उसकी माँ अचानक बी’मार हो जाती है घर में किसी और के ना होने क्वे वज़ह से एक नौकरानी रखी जाती है.
नौकरानी का नाम हमीदा था,नौकरानी शक्ल और सूरत से खूबसूरत थी मक़सूद ने जब उसे देखा तो अपनी आंख ना हटा सका लेकिन फिर उसे ख्याल आया कि वो ग’लत सोच में जा रहा है और वो तौबा करता है.
लेकिन मकसूद अपने दिल को रोक नही पा रहा है वो सोचता है क्यों ना मैं इसके साथ एक रात बिता लू जब हमीदा कमरे में झाड़ू लगाने आती है तो वो हमीदा को बहुत बुरी नजरो से देखता है हमीदा भी जान जाती है. मक़सूद बोलता है हमीदा तुम बहुत गरीब हो इसलिए आज मैं तुमको दस अशर्फी दे रहा हूँ क्युकि तुम अम्मी की सेवा कर रही हूँ और वो जब अशर्फी देने के बहाने हमीदा का हाथ अचनाक पकड लेता है जिसके बाद हमिदा घबरा जाती है और अपना हाथ छुडा लेती है.
हमिदा कहती है आप गलत समझ रहे है मैं गरीब ज़रूर हूँ लेकिन शरीफ हूँ और वो कहती है अपनी अशर्फी अपने पास रखो और मैं कल से नही आउंगी और अब कोई और कामवाली तलाश कर लो.
ये सुनकर मक़सूद माफ़ी मांगने लगता है लेकिन हमीदा उसी वक़्त काम छोड़ के चली जाती है.मक़सूद को अब अपने किये का अफ़सोस हो रहा है.उसकी माँ कुछ देर बाद पूछती है हमीदा कहा चली जिस पर मक़सूद घबरा कर कहता है अम्मी वो काम नही करेगी,बिना वजह बताये मना करके चली गयी