कहते हैं मर्द को कुदरत ने मोहब्बत अगर 20 फीसद दी है तो कंट्रोल 2 फीसद दिया है यानी मर्द से 20 फीसद भी कंट्रोल नहीं होता और इजहार कर देता है। औरत के अंदर मोहब्बत 80 फीसद डाली है और जज्बात पर कंट्रोल 98 फीसद दिया है यानी वह मर्द से ज्यादा मोहब्बत करती है लेकिन उसका इजहार नहीं करती क्योंकि कुदरत ने उसको ज़ब्त भी कमाल का दिया है।
मर्द बताता ज्यादा है और करता कम है जिस तरह कहते हैं ना कि खाली ढोल ज्यादा शोर मचाता है मर्द अपनी तरफ से तो बहुत मोहब्बत कर रहा होता है लेकिन हकीकत में ऐसा होता नहीं है। औरत मां, बहन, बेटी, बीवी, जिस रूप में हो भी होती है मोहब्बत में मर्द को कभी आगे निकलने नहीं देती।
एक हकीम ने मर्द से कहा औरत सिर्फ तीन चीजों की चाहत रखती है औरत नरम मिजाज होती है और वह हमेशा मर्द से नरमी का बर्ताव ही चाहती है। वह हमेशा मोहब्बत के एहसास में रहना पसंद करती है वह हमेशा चाहे जाने की तलबगार होती है।
औरत मोहब्बत में बहुत मुखलिस होती है और उसे चाहा भी हमेशा मुखलिस की होती है वह चाहती है कि जिससे वह प्यार करें वह भी सिर्फ और सिर्फ उसी का हो।
वो जिस से प्यार करती है वह उससे लड़ती है झगड़ती है रूठती है नखरे दिखाती है और यह औरत पर जचता है। क्योंकि वो चाहती है कि जब वो रूठे यह लड़े तो उसका मर्द उसे प्यार दे और सिर्फ प्यार पाने की जिद करती है ।
और जब यह सब करना बंद कर दें तो समझो उसे आपके एहसास और प्यार की जरूरत है। लोगों को वक्त दे, मौका दें, इज़्ज़त दें, हाल पूछें, कदर करे, दिल में रखें, लेकिन किसी से रिश्ते की भीख ना मांगे.
महज एक इंसान की मौजूदगी आपको दुनिया से बेगाना कर देती है, बेखुदी सिर्फ मोहब्बत में ही मयस्सर आ सकती है। इस्लाम में भी मर्द और औरत के बीच के रिश्ते को अहम् बताया गया है जब एक दूसरे में से कोई रूठे तो खुद ही आपस में एक दूसरे को मना ले इससे आपसी मोहब्बत बढ़ती है।