एक आदमी कंट्रोल रूम में फोन कर के कह रहा है कि मैं शहर में ब्ला’स्ट करने वाला हूँ! मेरे पास हथि’यार और बा’रूद दोनों है! उसने अपना नाम ‘अजहर’ बताया और बताया कि मैं यूपी का रहने वाला हूँ!पुलिस जाँच करने लगती है! जाँच में पता चलता है कि ये यूपी का ‘अजहर’ नहीं
बल्कि पड़ोस का ‘नरे’न्दर’ है! पुलिस ने साथ में ये भी पता लगा लिया कि ‘चिंटू’ ने ऐसा शराब के नशे में किया!! शराब के नशे में… ये कौन सी शराब है जिसको पीने के बावजूद नरेन्दर को पुलिस कंट्रोल का नम्बर याद है! अपने नाम की जगह एक मुस्लिम का नाम बताना है, ये याद है! बा’रूद का नाम याद है.
यहाँ तक साल के आखिरी दिन शहर को उड़ा’ना है , ये भी याद है! उस शराब का नाम है ‘नफरत’! एक खास सम्प्र’दाय के प्रति नफ’रत जिसको बद’नाम करने के लिए एक हिन्दू लड़की बुरखा पहनकर उनके बीच घुस जाती है! वही काम नरेन्दर ने किया है!
‘नशे में कौन’ था? नरेन्दर या जांच करने वाली पुलिस? इसी देश में टाडा कानून के तहत 1993 मुम्बई सीरियल ब्लास्ट के सभी आरो’पियों को फां’सी हुई..एक को छोड़कर!
एक ऐसा शख्स, जिसके घर से AK-47 ब’रामद हुई थी, उसे महज कुछ साल जेल में बिताने पड़े और फिर उसे बरी कर दिया गया! बरी होने के बाद उसकी बायोपिक बनी,जिसमें दिखाया गया कि जेल जाकर उसने देश पर बहुत बड़ा एहसान किया था!
‘नशे में कौन’ था, जिसे नहीं मालूम कि 600 राउंड प्रति मिनट दागने वाली AK-47 एक प्रति’बंधित बन्दूक है और उसका किसी नागरिक के पास पाये जाने का मतलब क्या है इसी देश में ऐसे पत्रकारों, चिंतकों, दार्शनिकों और समाजसेवियों को, जो समाज को अपने तरीके से जागरूक करते हैं.
उनपर दे’शद्रो’ह की धा’राएं लगा कर जेल भेज दिया जाता है! वो भी सालों साल के लिए! कानून ये भी नहीं देखता कि उनकी उम्र क्या है! बीमार, बुजुर्ग सबको जेल में डाल दिया जाता है! जाँच के नाम पर मिलती हैं कुछ किताबें, बिजली के बिल और दवाईयों की पर्चियां!
‘नशे में कौन’ है जिसने ऐसे लोगों को अर्बन न’क्सल की उपा’धि दी है? कल्पना कर के देखिये!!! ‘नरेन्दर’ की जगह सच में ‘अजहर’ का कॉल आया होता कण्ट्रोल रूम में तो? नूतन वर्ष की शुभकामनाओं के साथ…:- कपिल देव