ऑस्कर विजेता एआर रहमान (AR Rahman) आज यानि 6 जनवरी को अपना बर्थडे सेलीब्रेट कर रहे हैं। दिलीप चंद्रशेखर यानि आर रहमान का जन्म चेन्नई के मध्यमवर्गीय हिंदू परिवार में 6 जनवरी, 1966 को हुआ था । दिलीप के पिता आरके शेखर साउथ इंडस्ट्री ( मलयालम फिल्मों ) में म्यूजिक अरेंजर के तौर पर काम करते थे।
वे म्यूजिक इक्विपमेंट भी उपलब्ध कराते थे, यानि उनके घर में हर तरह के वाद्य यंत्र मौजूद थे । इस तरह रहमान को संगीत विरासत में मिला था एआर रहमान का धर्म बदलने से पहले दिलीप शेखर नाम था । मीडिया रिपोर्टस की मानें तो उन्हें अपने इस नाम से बेहद नफरत थी।
बचपन से ही उन्हें ये नाम अटपटा लगता था। उन्हें लगता था कि उनका नाम ठीक नहीं हैं रहमान पढ़ाई में बहुत अच्छे नहीं थे। टीचर की डांट और साथी छात्रों के सामने कम अंक की वजह से उन्हें बहुत शर्मिंदगी होती थी, एक बार तो उन्होंने खुदकुशी करने का तक सोच लिया था।
वहीं पढ़ाई में ना सही पर संगीत में उनकी रुचि थी । वे अपने पिता के साथ म्यूज़िक स्टूडियो में घंटों बिताते थे। इस दौरान वे कई म्यूजिक इक्विपमेंट भी बजाना सीख गए थे ।रहमान की छोटी उम्र में उनके पिता ने दुनिया को अलविदा कह दिया था। इसके बाद उनके घर के हालात बिगड़ना शुरू हो गए।
मुफलिसी के दौर में उनकी बहन को एक अनजान बीमारी ने घेर लिया, डॉक्टर भी हर उपाय कर चुके थे। इस दौरान दिलीप शेखर की मां एक मुस्लिम फकीर के संपर्क में आईं, फकीर की दुआ से रहमान की बहन स्वस्थ हो गईं, इसके बाद रहमान का फकीर, दरगाह और इस्लाम के प्रति आस्था बढ़ गई।
दिलीप शेखन ने अब तय कर लिया था कि वो अल्लाह की ही इबादत करेंगे, इसके बाद उन्होंने इस्लाम कबूल कर लिया, मन के किसी कोने में रहमान नाम बार-बार कौंधता था तो उन्होंने अपना नाम रहमान रख लिया।
वहीं उनकी मां भी इस्लाम से प्रभावित हो चुकीं थीं, वे तो रहमान के नाम के साथ अल्लाह भी जोड़ना चाहती थी। इसके बाद रहमान ने मां की बात का मान रखते हुए अपने अल्लाह भी जोड़ा, इस तरह वे अल्लाह रख्खा रहमान बने। दिलीप शेखर ने साल 1989 में 23 साल की उम्र में इस्लाम क़बूल किया था।
एआर रहमान ने साल 1991 में म्यूजिक रिकॉर्ड करना शुरु कर दिया था, उनके संगीत से प्रभावित मणिरत्नम ने अपनी फिल्म रोज़ा के लिए एआर रहमान को चुना था, इस मूवी में रहमान ने फिल्म फेअर जीता था । इसके बाद उन्होंने ऑस्कर विनिंग तक हर मुकाम हासिल किया है।